जिन हालात से डरते थे अमेरिका में संविधान बनाने वाले, ट्रम्प राज में वही स्थिति दिखाई दे रही https://ift.tt/33WdViY

पहली बार अमेरिकी चुनाव में ‘कमजोर लोकतंत्र’ मुद्दा बन गया है। वजह यह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प वोटों में धांधली होने की बात करके लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचल रहे हैं। वे कोरोना के दौर में संसद से पारित ओबामा केयर को एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से बदलना चाहते हैं।

निगेटिव रिपोर्ट आए बिना ट्रम्प मीटिंग कर रहे हैं। राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रम्प 150 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की जांच का सामना कर रहे हैं। इन गैरजिम्मेदाराना रवैये की वजह से ट्रम्प का विरोध उनकी पार्टी में शुरू हो गया। पार्टी के लोगों का कहना है कि संविधान निर्माताओं ने ऐसे कमजोर लोकतंत्र की कल्पना कभी नहीं की थी।

2 लक्ष्यों, दो शंकाओं को ध्यान में रख बना संविधान

पहला लक्ष्यः ऐसा संघीय ढांचा बनाना जो अमेरिकी सीमाओं की रक्षा कर सके। सभी राज्य समान अवसर के साथ प्रगति करें। इसको सुनिश्चित करने के लिए एक करेंसी (मुद्रा) को लागू करने का फैसला लिया।

दूसरा लक्ष्यः राज्यों को ऑटोनॉमी मिले। ताकि लोग अपनी संस्कृति को जी सकें। इसलिए राज्यों को सिविल और क्रिमिनल कानून बनाने की आजादी मिली। इस तरह संघीय ढांचे में राज्य सरकारें काफी शक्तिशाली हैं।

पहला डरः यूरोपीय देशों की तरह राजाओं की तानाशाही अमेरिका में न आ जाए। सरकार व्यक्तिगत हित के लिए न बने। व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता का शोषण न किया जाए।

दूसरा डरः लोकतंत्र भीड़ तंत्र में न बदल जाए। उनका मानना था कि अधिकतर लोग घर, परिवार और रोजगार के आगे नहीं सोचते। ऐसे में इन्हें भ्रमित कर कोई भी सरकार बना सकता है। इसलिए वे तानाशाही और संपूर्ण डेमोक्रेसी से डरे हुए थे।

इन स्थितियों से बचाने के लिए ‘सेपरेशन ऑफ पावर्स व चेक्स एंड बैलेंस’ की व्यवस्था की थी

1787 में संविधान निर्माताओं ने भीड़ तंत्र और तानाशाही जैसी स्थिति से बचने के लिए संविधान में सेपरेशन ऑफ पावर (ताकत का अलगाववाद) और चेक्स एंड बैलेंस (नियंत्रण और संतुलन) को जगह दी। सरकारी शक्ति विधायिका, प्रेसीडेंसी और न्याय तंत्र में बांट दी गई। इसलिए राष्ट्रपति सीधे जनता द्वारा चुने जाने की बजाए जनता के नुमाइंदे इलेक्टोरेट कॉलेज से चुने जाने लगे।

राष्ट्रपति सीनेट की मंजूरी के बिना कुछ नहीं कर सकते

राष्ट्रपति अमेरिका का कमांडर इन चीफ होता है। बिना सीनेट की मंजूरी के न तो आक्रमण कर सकता है और न ही किसी देश से संधि। कांग्रेस का बनाया कानून सुप्रीम कोर्ट को न्याय संगत नहीं लगता है तो वो उसे खारिज कर सकती है। यह नियंत्रण और शक्ति संतुलन की व्यवस्था है। 1791 में बिल ऑफ राइट्स के जरिए नागरिकों के अधिकार सुरक्षित किए गए। संविधान में जिन शक्तियों का उल्लेख नहीं है, वो राज्य सरकारों या नागरिकों को दी गई हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रम्प 150 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की जांच का सामना कर रहे हैं। (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34Ucj8H

कोई टिप्पणी नहीं

Please do not enter any spam link in the comment box.